मुंबई, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घरों और धर्मस्थलों से सोना निकलवाने की सलाह देकर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और कांग्रेस नेता फंसते नजर आ रहे हैं। उनपर एक विशेष धर्म पर हमला करने का आरोप लगा रहा है। हालांकि, चव्हाण का कहना है कि उनकी बात को गलत तरीके से पेश करनेवालों के खिलाफ वह कानूनी कार्रवाई करेंगे। केरल के पद्मनाभस्वामी मंदिर के 5 तहखाने खुलने पर दुनिया के होश उड़ गए थे। इन पांच तहखानों से कीमती पत्थर, सोने और चांदी का भंडार निकल चुका है। इसकी अनुमानित कीमत लगभग एक लाख करोड़ से अधिक है। ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि देशभर के मंदिरों में कितना सोना होगा।
दरअसल, पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा है कि पीएम मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पुनरुद्धार पैकेज की घोषणा कर दी है, लेकिन सवाल यह उठता है कि सरकार इन संसाधनों को कैसे जुटाएगी? मैंने सुझाव दिया है कि सरकार विभिन्न व्यक्तियों और धार्मिक ट्रस्ट से उनके पास पड़े बेकार सोने को जमा करने के लिए कहे। चव्हाण के इस बयान के बाद विश्व हिंदू परिषद ने कहा कि जब वक्फ बोर्ड और चर्च के पास भी अपार संपत्ति है, तो फिर कांग्रेस को मंदिरों पर ही नजर क्यों है? पृथ्वीराज चव्हाण का कहना है कि असामाजिक तत्वों ने पीएम मोदी को दी गई सलाह के मूल भाव को संदर्भ से बाहर कर दिया और प्रोजेक्ट करने की कोशिश की कि मैंने एक विशेष धर्म को लक्षित किया था। ऐसे लोगों के खिलाफ मैं उचित कानूनी प्राधिकारियों के साथ कार्रवाई करने जा रहा हूं। मेरा सुझाव कोई नई बात नहीं थी। जब भी कोई राष्ट्रीय आर्थिक संकट होता है, तब प्रधानमंत्री ने सोने का संग्रह करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि गोल्ड डिपॉजिट स्कीम तो वाजपेयी सरकार ने शुरू की थी और 2015 में मोदी सरकार ने गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम लाया था।